आने वाले बजट 2025 में करदाताओं को बड़ी राहत मिल सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए जाने वाले इस बजट में सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ाए जाने की उम्मीद है। यह कदम मध्यम वर्ग और वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
सेक्शन 80C के तहत मिलने वाली टैक्स छूट की सीमा पिछले कई सालों से 1.5 लाख रुपये पर स्थिर है। महंगाई और बढ़ती जीवन लागत को देखते हुए इस सीमा को बढ़ाने की मांग लंबे समय से की जा रही थी। अब लगता है कि सरकार इस मांग पर गौर कर सकती है और बजट 2025 में इस लिमिट को बढ़ा सकती है।
सेक्शन 80C क्या है?
सेक्शन 80C आयकर अधिनियम का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो करदाताओं को कुछ निर्धारित निवेशों और खर्चों पर टैक्स छूट का लाभ देता है। इसके तहत व्यक्तिगत करदाता और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) अपनी कर योग्य आय में से 1.5 लाख रुपये तक की कटौती का दावा कर सकते हैं।
सेक्शन 80C की मुख्य विशेषताएं
विवरण | जानकारी |
अधिकतम कटौती सीमा | 1.5 लाख रुपये प्रति वित्तीय वर्ष |
पात्र व्यक्ति | व्यक्तिगत करदाता और HUF |
लागू कर व्यवस्था | पुरानी कर व्यवस्था |
प्रमुख निवेश विकल्प | PPF, ELSS, जीवन बीमा प्रीमियम, NSC |
प्रमुख खर्च | ट्यूशन फीस, होम लोन का मूलधन |
न्यूनतम लॉक-इन अवधि | 3 से 15 साल (निवेश के आधार पर) |
रिटर्न की दर | 7% से 15% (निवेश के आधार पर) |
सेक्शन 80C के तहत कौन से निवेश और खर्च शामिल हैं?
सेक्शन 80C के तहत कई तरह के निवेश और खर्च शामिल हैं जिन पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है। आइए इन्हें विस्तार से समझते हैं:
निवेश विकल्प
- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF): यह एक लोकप्रिय लंबी अवधि का निवेश विकल्प है जिसमें 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है।
- इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS): यह म्यूचुअल फंड का एक प्रकार है जिसमें 3 साल की लॉक-इन अवधि होती है।
- नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC): यह एक सरकारी बचत योजना है जिसमें 5 साल की लॉक-इन अवधि होती है।
- सुकन्या समृद्धि योजना: यह बेटियों के लिए एक विशेष बचत योजना है जिसमें 21 साल की लॉक-इन अवधि होती है।
- टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट: यह 5 साल की लॉक-इन अवधि वाला बैंक डिपॉजिट है।
बीमा और पेंशन योजनाएं
- जीवन बीमा प्रीमियम: अपने, पति/पत्नी या बच्चों के लिए ली गई जीवन बीमा पॉलिसी का प्रीमियम।
- यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP): यह बीमा और निवेश का मिश्रण है।
- नेशनल पेंशन स्कीम (NPS): यह एक वैकल्पिक पेंशन योजना है जिसमें अतिरिक्त 50,000 रुपये की कटौती सेक्शन 80CCD(1B) के तहत मिलती है।
खर्च
- ट्यूशन फीस: दो बच्चों तक की स्कूल या कॉलेज की ट्यूशन फीस।
- होम लोन का मूलधन: घर खरीदने या बनाने के लिए लिए गए लोन के मूलधन का भुगतान।
- स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क: घर खरीदने पर भुगतान किया गया स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क।
बजट 2025 में सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ने की संभावना
वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि बजट 2025 में सरकार सेक्शन 80C की लिमिट को 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख या 2.5 लाख रुपये कर सकती है। इसके पीछे कई कारण हैं:
- महंगाई में वृद्धि: पिछले कुछ सालों में महंगाई काफी बढ़ गई है, जिससे लोगों की बचत क्षमता प्रभावित हुई है।
- जीवन लागत में बढ़ोतरी: शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी बुनियादी जरूरतों की लागत में भारी वृद्धि हुई है।
- निवेश को प्रोत्साहन: सरकार चाहती है कि लोग अधिक बचत और निवेश करें, जिससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले।
- मध्यम वर्ग को राहत: यह कदम मध्यम वर्ग और वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत साबित हो सकता है।
सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ने से क्या फायदे होंगे?
अगर बजट 2025 में सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ती है तो इसके कई फायदे हो सकते हैं:
- टैक्स बचत में वृद्धि: करदाताओं को अधिक टैक्स बचाने का मौका मिलेगा, जिससे उनकी डिस्पोजेबल इनकम बढ़ेगी।
- अधिक निवेश का अवसर: लोग अधिक निवेश कर सकेंगे, जिससे उनकी दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा मजबूत होगी।
- बचत को प्रोत्साहन: यह कदम लोगों को अधिक बचत करने के लिए प्रेरित करेगा, जो अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद है।
- वित्तीय योजना में सुधार: करदाता अपनी वित्तीय योजना को बेहतर तरीके से बना सकेंगे और विभिन्न निवेश विकल्पों का लाभ उठा सकेंगे।
- पेंशन और बीमा कवरेज में वृद्धि: लोग अधिक पेंशन और बीमा योजनाओं में निवेश कर सकेंगे, जिससे उनकी भविष्य की सुरक्षा बढ़ेगी।
सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ने पर कैसे करें प्लानिंग?
अगर बजट 2025 में सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ती है तो आप अपनी टैक्स प्लानिंग को इस तरह से कर सकते हैं:
- विविध निवेश करें: अपने निवेश को PPF, ELSS, NSC जैसे विभिन्न विकल्पों में बांटें।
- लंबी अवधि के निवेश पर ध्यान दें: PPF और NPS जैसी लंबी अवधि की योजनाओं में निवेश करें जो रिटायरमेंट प्लानिंग में मदद करेंगी।
- इक्विटी निवेश बढ़ाएं: ELSS फंड्स में निवेश करके इक्विटी मार्केट के लाभ उठाएं।
- बीमा कवरेज बढ़ाएं: अपने और परिवार के लिए पर्याप्त जीवन बीमा कवरेज लें।
- होम लोन का लाभ उठाएं: अगर आपने घर खरीदने के लिए लोन लिया है तो उसके मूलधन के भुगतान को सेक्शन 80C के तहत दिखाएं।
- बच्चों की शिक्षा के लिए प्लान करें: बच्चों की ट्यूशन फीस और सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश करके टैक्स बचाएं।
सेक्शन 80C के अलावा अन्य टैक्स बचत के विकल्प
सेक्शन 80C के अलावा भी कई अन्य धाराएं हैं जिनके तहत टैक्स बचत की जा सकती है। इनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- सेक्शन 80D: स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती।
- सेक्शन 80E: शैक्षिक लोन के ब्याज पर कटौती।
- सेक्शन 24: होम लोन के ब्याज पर कटौती।
- सेक्शन 80G: चैरिटी में दान पर कटौती।
- सेक्शन 80TTA: बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज पर कटौती।
नई कर व्यवस्था में सेक्शन 80C का महत्व
2020 में सरकार ने एक नई वैकल्पिक कर व्यवस्था की शुरुआत की थी जिसमें कम टैक्स दरें हैं लेकिन कोई छूट नहीं है। इसका मतलब है कि नई कर व्यवस्था चुनने वाले करदाता सेक्शन 80C का लाभ नहीं उठा सकते।
हालांकि, अभी भी बहुत से लोग पुरानी कर व्यवस्था का ही विकल्प चुन रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि विभिन्न छूट और कटौतियों के साथ वे अधिक टैक्स बचा सकते हैं। इसलिए सेक्शन 80C का महत्व अभी भी बना हुआ है।
अस्वीकरण (Disclaimer)
यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। बजट 2025 और सेक्शन 80C की लिमिट में संभावित बदलाव अभी अनुमान पर आधारित हैं। वास्तविक बजट घोषणाएं और कर नियम इससे भिन्न हो सकते हैं। कृपया किसी भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले पंजीकृत कर सलाहकार या वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें। लेखक या प्रकाशक इस जानकारी के उपयोग से होने वाले किसी भी नुकसान या क्षति के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।