बच्चों के मोबाइल इस्तेमाल पर AIIMS की चेतावनी, जानें क्या कहा गया AIIMS On Smartphone Addiction

AIIMS On Smartphone Addiction: आज के डिजिटल युग में बच्चों का मोबाइल फोन और अन्य स्क्रीन डिवाइसों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। इस बढ़ते चलन ने माता-पिता और चिकित्सा विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डॉक्टरों ने बच्चों के स्वास्थ्य पर मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग के नकारात्मक प्रभावों को लेकर एक महत्वपूर्ण चेतावनी जारी की है।

AIIMS के विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों में मोबाइल फोन के बढ़ते उपयोग से न केवल उनकी आंखों पर बुरा असर पड़ रहा है, बल्कि उनके समग्र शारीरिक और मानसिक विकास पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर इसी तरह चलता रहा, तो आने वाले समय में बच्चों में आंखों की समस्याओं के साथ-साथ व्यवहार संबंधी विकार भी बढ़ सकते हैं।

AIIMS की चेतावनी का सारांश

मुख्य बिंदुविवरण
स्क्रीन टाइम सीमा2 घंटे प्रतिदिन से अधिक नहीं
छोटे बच्चों के लिए निर्देश2 साल से कम उम्र के बच्चों को स्क्रीन से दूर रखें
आंखों पर प्रभावमायोपिया (निकट दृष्टि दोष) का खतरा बढ़ रहा है
व्यवहार संबंधी प्रभावचिड़चिड़ापन, एकाग्रता की कमी, नींद की समस्याएं
शारीरिक प्रभावमोटापा, शारीरिक गतिविधियों में कमी
सुझावआउटडोर गतिविधियों को बढ़ावा दें
नियमित जांचवार्षिक आंखों की जांच अनिवार्य
पेरेंटल गाइडेंसमाता-पिता को बच्चों के स्क्रीन टाइम पर नज़र रखनी चाहिए
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बच्चों पर मोबाइल फोन के प्रभाव

आंखों पर प्रभाव

AIIMS के डॉक्टरों ने बताया कि बच्चों में मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) का खतरा बढ़ रहा है। डॉ. आरपी सेंटर के प्रमुख डॉ. जी.एस. तितियाल के अनुसार, 2015-16 तक स्कूली बच्चों में मायोपिया का प्रतिशत 10-12% था, लेकिन कोरोना महामारी के बाद यह प्रतिशत बढ़ गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही स्थिति रही तो 2050 तक 40-45% बच्चे मायोपिया के शिकार हो सकते हैं। इसके अलावा, लगातार स्क्रीन देखने से आंखों में सूखापन, जलन और थकान भी हो सकती है।

व्यवहार संबंधी प्रभाव

मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से बच्चों के व्यवहार में भी बदलाव देखे जा रहे हैं। AIIMS के अध्ययन में पाया गया कि:

  • 33.1% किशोर डिप्रेशन से पीड़ित हैं
  • 24.9% किशोरों में चिंता के लक्षण दिखाई देते हैं
  • 56% किशोरों में उतावलापन की समस्या है
  • 59% किशोरों में गुस्से की अधिकता पाई गई

इसके अलावा, बच्चों में एकाग्रता की कमी, सामाजिक कौशल में कमी और नींद की समस्याएं भी देखी जा रही हैं।

शारीरिक प्रभाव

मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से बच्चों की शारीरिक गतिविधियां कम हो रही हैं, जिससे मोटापे का खतरा बढ़ रहा है। इसके अलावा, गर्दन और कंधों में दर्द, सिरदर्द और आंखों में तनाव जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

AIIMS की गाइडलाइंस

AIIMS के विशेषज्ञों ने बच्चों के लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए हैं:

  1. स्क्रीन टाइम सीमा: 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए दिन में अधिकतम 2 घंटे का स्क्रीन टाइम।
  2. 20-20-20 नियम: हर 20 मिनट पर 20 सेकंड का ब्रेक लें और 20 मीटर दूर तक देखें।
  3. उचित रोशनी: कमरे की लाइटिंग अच्छी होनी चाहिए और पीछे से रोशनी आनी चाहिए।
  4. सही पोस्चर: पढ़ने के लिए टेबल और कुर्सी का इस्तेमाल करें, सोफे या बिस्तर पर बैठकर न पढ़ें।
  5. बड़ी स्क्रीन: छोटी स्क्रीन की जगह बड़ी स्क्रीन का इस्तेमाल करें।
  6. आउटडोर गतिविधियां: स्कूल में एक पीरियड और घर पर रोजाना एक घंटा आउटडोर गतिविधियों के लिए निर्धारित करें।
  7. नियमित जांच: साल में एक बार सभी बच्चों का विजन टेस्ट कराएं।

उम्र के अनुसार गाइडलाइंस

AIIMS के विशेषज्ञों ने बच्चों की उम्र के अनुसार कुछ विशेष दिशानिर्देश भी दिए हैं:

  • 3 साल से पहले: कोई स्क्रीन टाइम नहीं
  • 6 साल से पहले: इंटरनेट का प्रयोग नहीं
  • 9 साल से पहले: वीडियो गेम नहीं
  • 12 साल से पहले: सोशल मीडिया का कोई प्रयोग नहीं

माता-पिता की भूमिका

बच्चों के स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करने में माता-पिता की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। AIIMS के विशेषज्ञों ने माता-पिता के लिए कुछ सुझाव दिए हैं:

  1. घर में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के प्रयोग के लिए एक निश्चित समय तय करें।
  2. बच्चों के साथ-साथ माता-पिता को भी इन नियमों का पालन करना चाहिए।
  3. बच्चों को शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करें।
  4. रात में बेडरूम में मोबाइल, टैबलेट या टीवी का प्रयोग न करें।
  5. बच्चों के मोबाइल फोन रात को अपने कमरे में रखें।

स्कूलों की भूमिका

AIIMS के विशेषज्ञों ने स्कूलों के लिए भी कुछ सुझाव दिए हैं:

  1. स्कूल में एक पीरियड आउटडोर गेम्स के लिए निर्धारित करें।
  2. साल में एक बार सभी बच्चों का विजन टेस्ट कराएं।
  3. टीचर्स को बच्चों की आंखों की समस्याओं के प्रति जागरूक करें।
  4. डिजिटल डिवाइस के सही उपयोग के बारे में बच्चों को शिक्षित करें।

मोबाइल फोन के सकारात्मक उपयोग

हालांकि मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग के नुकसान हैं, लेकिन इसका सही और सीमित उपयोग फायदेमंद भी हो सकता है। AIIMS के विशेषज्ञों ने कुछ सकारात्मक उपयोग बताए हैं:

  1. शैक्षिक एप्स: पढ़ाई में मदद के लिए शैक्षिक एप्स का उपयोग किया जा सकता है।
  2. ज्ञानवर्धक वीडियो: बच्चों के लिए उपयोगी और ज्ञानवर्धक वीडियो देखे जा सकते हैं।
  3. परिवार से संपर्क: दूर रहने वाले परिवार के सदस्यों से संपर्क के लिए वीडियो कॉल का उपयोग।
  4. आपातकालीन स्थिति: आपातकालीन स्थिति में संपर्क के लिए मोबाइल फोन उपयोगी हो सकता है।

निष्कर्ष

AIIMS के विशेषज्ञों की चेतावनी बच्चों के स्वास्थ्य और विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल डिवाइस आज के समय की आवश्यकता हैं, लेकिन इनका अति उपयोग नुकसानदायक हो सकता है। माता-पिता, शिक्षक और समाज को मिलकर बच्चों के स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करने और उन्हें स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

बच्चों को डिजिटल दुनिया और वास्तविक दुनिया के बीच संतुलन बनाने में मदद करना हमारी जिम्मेदारी है। AIIMS की गाइडलाइंस का पालन करके और बच्चों को शारीरिक गतिविधियों में शामिल करके हम उनके स्वस्थ विकास को सुनिश्चित कर सकते हैं।

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डिस्क्लेमर

यह लेख जनहित में जारी किया गया है और AIIMS के विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित है। हालांकि, यह सामान्य मार्गदर्शन के लिए है और व्यक्तिगत चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। हर बच्चे की स्थिति अलग होती है, इसलिए माता-पिता को अपने बच्चों की विशिष्ट जरूरतों के अनुसार निर्णय लेना चाहिए। किसी भी स्वास्थ्य संबंधी चिंता के लिए कृपया योग्य चिकित्सक से परामर्श लें। समय के साथ नए शोध और अध्ययन इस विषय पर नई जानकारी प्रदान कर सकते हैं।

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