Breaking News: नाम बदलते ही मच गया बवाल, संभल की मशहूर शाही जामा मस्जिद का नया नाम देख सब रह गए दंग, देखिए update

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में स्थित शाही जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल है, जो मुगल काल से जुड़ी अपनी विरासत के लिए प्रसिद्ध है। हाल ही में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इस मस्जिद का नाम बदलकर “जुमा मस्जिद” कर दिया गया है, जिससे यह फिर से चर्चा में आ गई है।

इस बदलाव के पीछे एएसआई के रिकॉर्ड और दस्तावेजों का हवाला दिया जा रहा है। मस्जिद का नाम बदलने को लेकर स्थानीय स्तर पर विवाद और असंतोष भी देखने को मिला है।यह मस्जिद न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि इसकी स्थापत्य कला और ऐतिहासिकता इसे एक विशेष पहचान देती है।

नाम परिवर्तन के साथ ही एक नया साइनबोर्ड तैयार किया गया है, जिसे जल्द ही मस्जिद परिसर में लगाया जाएगा। इस लेख में हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

Sambhal’s Shahi Jama Masjid New Name

विशेषताविवरण
मूल नामशाही जामा मस्जिद
नया नामजुमा मस्जिद
निर्माण वर्ष1526 ईस्वी
स्थापत्य शैलीमुगलकालीन (शर्की प्रभाव)
निर्मातामीर हिंदू बेग (बाबर के आदेश पर)
स्थानसंभल, उत्तर प्रदेश
संरक्षण संस्थाभारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)
विवादित मुद्दानाम परिवर्तन और सर्वेक्षण हिंसा

शाही जामा मस्जिद का नाम बदलकर जुमा मस्जिद क्यों किया गया?

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने अपने रिकॉर्ड्स के आधार पर यह निर्णय लिया कि शाही जामा मस्जिद को अब “जुमा मस्जिद” कहा जाएगा। एएसआई के वकील विष्णु शर्मा ने बताया कि मस्जिद परिसर में पहले से ही एक नीला बोर्ड मौजूद था, जिसमें इसे “जुमा मस्जिद” लिखा गया था।

हालांकि, कुछ व्यक्तियों ने इसे हटाकर “शाही जामा मस्जिद” लिखा हुआ बोर्ड लगा दिया था। अब एएसआई ने अपने दस्तावेजों के अनुसार नया बोर्ड तैयार किया है, जो जल्द ही लगाया जाएगा।

शाही जामा मस्जिद का इतिहास और महत्व

शाही जामा मस्जिद का निर्माण 1526 ईस्वी में मुगल सम्राट बाबर के शासनकाल में हुआ था। इसे उनके सेनापति मीर हिंदू बेग ने बनवाया था। यह मस्जिद दक्षिण एशिया की सबसे पुरानी मुगलकालीन संरचनाओं में से एक मानी जाती है। इसका स्थापत्य शैली जौनपुर की शर्की वास्तुकला से प्रभावित है।

स्थापत्य विशेषताएं

  • स्थान: संभल जिले के कोट क्षेत्र में स्थित।
  • मुख्य संरचना: आयताकार प्रार्थना कक्ष, केंद्रीय गुंबद और दो मीनारें।
  • अभिलेख: दीवारों और मेहराबों पर कई ऐतिहासिक अभिलेख मौजूद हैं।
  • सुधार कार्य: 1625 और 1656 ईस्वी में मरम्मत कार्य हुए थे।

विवाद और जनता की प्रतिक्रिया

नाम बदलने को लेकर स्थानीय लोगों में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कुछ लोग इसे धार्मिक भावनाओं से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि अन्य इसे प्रशासनिक प्रक्रिया मानते हैं। पिछले साल हुए सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भी हुई थी, जिसने इलाके में तनाव बढ़ा दिया था।

विवाद की मुख्य बाते

  • सांप्रदायिक तनाव: सर्वेक्षण और नाम परिवर्तन ने क्षेत्रीय विवाद को बढ़ावा दिया।
  • कानूनी मुद्दा: मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है।
  • स्थानीय असंतोष: कुछ लोगों ने इसे धार्मिक पहचान पर हमला बताया।

एएसआई का दृष्टिकोण

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने स्पष्ट किया कि यह बदलाव केवल उनके रिकॉर्ड्स के आधार पर किया गया है। उनका कहना है कि इसका कोई राजनीतिक या धार्मिक उद्देश्य नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि नए साइनबोर्ड से संरक्षित स्मारक की पहचान सुनिश्चित होगी।

निष्कर्ष

संभल की शाही जामा मस्जिद का नाम बदलकर जुमा मस्जिद करना एक प्रशासनिक निर्णय है, जो एएसआई के रिकॉर्ड्स पर आधारित है। हालांकि, इस बदलाव ने स्थानीय स्तर पर विवाद और असंतोष को जन्म दिया है। यह स्थल न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसकी ऐतिहासिकता इसे विशेष बनाती है।

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Disclaimer: यह लेख उपलब्ध जानकारी और समाचार रिपोर्ट्स पर आधारित है। नाम परिवर्तन वास्तविक घटना है, जिसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा लागू किया गया है। किसी भी प्रकार की अफवाह या गलत जानकारी फैलाने से बचें।

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