दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और यातायात की समस्याओं को देखते हुए, सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) पॉलिसी 2.0 का प्रस्ताव पेश किया है। इस पॉलिसी का उद्देश्य राजधानी में फॉसिल फ्यूल से चलने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाकर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना है। इसमें ऑटो रिक्शा, टैक्सियों और अन्य वाहनों को इलेक्ट्रिक विकल्पों में बदलने की योजना बनाई गई है।
E-Rickshaw, जो दिल्ली में अंतिम मील कनेक्टिविटी के लिए महत्वपूर्ण हैं, अब सरकार की नई पॉलिसी के तहत चर्चा का विषय बन गए हैं। बढ़ती संख्या और यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण E-Rickshaw पर प्रतिबंध लगाने की संभावना पर विचार किया जा रहा है।
E-Rickshaw और EV पॉलिसी 2.0 का महत्व
E-Rickshaw क्या हैं?
E-Rickshaw बैटरी से चलने वाले तीन पहिया वाहन हैं, जो मुख्य रूप से छोटी दूरी की यात्राओं के लिए उपयोग किए जाते हैं। ये पर्यावरण के लिए बेहतर विकल्प माने जाते हैं क्योंकि इनमें कोई फॉसिल फ्यूल का उपयोग नहीं होता।
E-Rickshaw का मौजूदा स्थिति:
- दिल्ली में लगभग 1.2 लाख से अधिक रजिस्टर्ड E-Rickshaw हैं।
- इनका उपयोग मुख्य रूप से मेट्रो स्टेशन, बाजार, और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर यात्रियों को लाने-ले जाने के लिए किया जाता है।
- हालांकि, यातायात नियमों का उल्लंघन और अवैध चार्जिंग स्टेशनों के कारण ये विवाद का विषय बन गए हैं।
EV पॉलिसी 2.0 क्या है?
दिल्ली सरकार की EV पॉलिसी 2.0 का उद्देश्य राजधानी को प्रदूषण मुक्त बनाना और इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देना है। इस पॉलिसी में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं:
मुख्य प्रावधान:
- CNG ऑटो रिक्शा:
- नए CNG ऑटो रिक्शा का रजिस्ट्रेशन 15 अगस्त 2025 से बंद होगा।
- पुराने CNG ऑटो रिक्शा (10 साल से अधिक पुराने) को बैटरी ऑपरेटेड सिस्टम में बदलना अनिवार्य होगा।
- दो पहिया वाहन:
- पेट्रोल, डीजल और CNG से चलने वाले दो पहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन 15 अगस्त 2026 से बंद होगा।
- सार्वजनिक परिवहन:
- दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (DTC) और अन्य बस सेवाओं को पूरी तरह इलेक्ट्रिक बसों में बदलने की योजना है।
- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर:
- पूरे शहर में चार्जिंग स्टेशन स्थापित किए जाएंगे।
E-Rickshaw पर संभावित प्रतिबंध
सरकार ने E-Rickshaw पर प्रतिबंध लगाने पर विचार किया है क्योंकि:
- यातायात नियमों का उल्लंघन:
- गलत पार्किंग, ओवरलोडिंग, और यातायात जाम के कारण E-Rickshaw विवादित हो गए हैं।
- अवैध चार्जिंग:
- अवैध चार्जिंग स्टेशनों के कारण बिजली चोरी और सुरक्षा जोखिम बढ़ रहे हैं।
- सुरक्षा मुद्दे:
- दुर्घटनाओं और खराब बैटरी मानकों के कारण यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है।
E-Rickshaw और EV पॉलिसी: तुलना
पहलू | विवरण |
प्रदूषण नियंत्रण | E-Rickshaw प्रदूषण रहित होते हैं लेकिन अवैध चार्जिंग से बिजली चोरी होती है। |
यातायात प्रबंधन | यातायात नियमों का पालन न करने से जाम और दुर्घटनाएं होती हैं। |
EV पॉलिसी 2.0 | इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जाएगा। |
सरकारी समर्थन | EV खरीदने पर सब्सिडी और पुराने वाहनों को बदलने पर प्रोत्साहन। |
सुरक्षा उपाय | अवैध चार्जिंग स्टेशनों पर कार्रवाई और ड्राइवर ट्रेनिंग अनिवार्य। |
भविष्य की योजना | सभी सार्वजनिक परिवहन को इलेक्ट्रिक बनाने की दिशा में काम। |
सरकार द्वारा प्रस्तावित समाधान
दिल्ली सरकार ने E-Rickshaw से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने का सुझाव दिया है:
- ड्राइवर ट्रेनिंग: सभी E-Rickshaw ड्राइवरों के लिए लाइसेंस और ट्रेनिंग अनिवार्य करना।
- अवैध चार्जिंग पर रोक: अवैध चार्जिंग स्टेशनों को बंद करना और अधिकृत चार्जिंग पॉइंट स्थापित करना।
- यातायात प्रबंधन: E-Rickshaw के लिए निर्धारित रूट्स और ज़ोन बनाना।
EV पॉलिसी 2.0 के लाभ
पर्यावरणीय लाभ:
- वायु प्रदूषण में कमी।
- कार्बन उत्सर्जन घटाने में मदद।
आर्थिक लाभ:
- EV उद्योग में रोजगार के नए अवसर।
- बैटरी रीसाइक्लिंग और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश।
सामाजिक लाभ:
- सुरक्षित और सस्ती परिवहन सुविधा।
- स्वास्थ्य समस्याओं में कमी।
निष्कर्ष
दिल्ली सरकार की EV पॉलिसी 2.0 एक महत्वपूर्ण कदम है जो राजधानी को प्रदूषण मुक्त बनाने और यातायात प्रबंधन सुधारने की दिशा में काम करेगी। हालांकि, E-Rickshaw पर प्रतिबंध लगाने या उनके संचालन को नियंत्रित करने की आवश्यकता है ताकि यातायात जाम, बिजली चोरी, और सुरक्षा समस्याओं को हल किया जा सके।
डिस्क्लेमर
यह लेख संभावित सरकारी फैसलों पर आधारित है। फिलहाल E-Rickshaw पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुआ है। EV पॉलिसी 2.0 अभी ड्राफ्ट चरण में है, जिसमें बदलाव संभव हैं।