भारत में End-of-Life Vehicles Rules 2025 के तहत 1 अप्रैल से बड़ा बदलाव आने वाला है, जो अनफिट गाड़ियों को स्क्रैप करने की प्रक्रिया को सुगम बनाएगा। यह नियम Extended Producer Responsibility (EPR) के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें वाहन निर्माताओं को अपने उत्पादों के अंतिम जीवन में भी जिम्मेदारी लेनी होगी। इस नियम का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण और संसाधन प्रबंधन को बढ़ावा देना है।
इन नियमों के तहत, Central Pollution Control Board (CPCB) एक केंद्रीकृत ऑनलाइन पोर्टल स्थापित करेगा, जो End-of-Life Vehicles (ELVs) के पंजीकरण और रिटर्न फाइलिंग को संभालेगा। यह पोर्टल Registered Vehicle Scrapping Facilities (RVSFs) के साथ EPR प्रमाणपत्रों का आदान-प्रदान भी सुनिश्चित करेगा। इस प्रकार, यह न केवल वायु प्रदूषण को कम करेगा, बल्कि सड़क सुरक्षा में भी सुधार लाएगा।
End-of-Life Vehicles Rules 2025: An Overview
विशेषता | विवरण |
लागू तिथि | 1 अप्रैल 2025 से |
केंद्रीकृत पोर्टल | CPCB द्वारा स्थापित किया जाएगा |
EPR प्रमाणपत्र | निर्माताओं के लिए अनिवार्य |
प्रभावित पक्ष | निर्माता, मालिक, RVSFs |
अपवाद | कृषि मशीनरी, बैटरी अपशिष्ट, प्लास्टिक पैकेजिंग |
उद्देश्य | पर्यावरण संरक्षण और संसाधन प्रबंधन |
पंजीकरण आवश्यकता | RVSFs और निर्माताओं के लिए अनिवार्य |
वाहन स्क्रैपिंग नीति का महत्व
भारत की वाहन स्क्रैपिंग नीति 2021 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य 15 साल पुराने व्यावसायिक और 20 साल पुराने निजी वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना है। यह नीति वायु प्रदूषण को कम करने, सड़क सुरक्षा में सुधार करने, और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। नीति के तहत कर छूट, पंजीकरण शुल्क माफी, और छूट जैसे प्रोत्साहन दिए जाते हैं।
वाहन स्क्रैपिंग नीति के लाभ
- पर्यावरण लाभ: पुराने वाहनों को हटाकर वायु प्रदूषण में कमी आती है।
- आर्थिक लाभ: नई वाहनों की मांग बढ़ने से ऑटोमोबाइल उद्योग को बढ़ावा मिलता है।
- सड़क सुरक्षा: पुराने वाहनों को हटाने से दुर्घटनाओं में कमी आती है।
- संसाधन प्रबंधन: स्क्रैप वाहनों से धातु और प्लास्टिक जैसे संसाधनों का पुनर्चक्रण होता है।
वाहन स्क्रैपिंग प्रक्रिया
वाहन स्क्रैपिंग प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल हैं:
- वाहन की जांच: वाहन को फिटनेस टेस्ट के लिए भेजा जाता है।
- स्क्रैपिंग सुविधा में भेजना: यदि वाहन फिट नहीं है, तो उसे RVSF में भेजा जाता है।
- वाहन का विघटन: RVSF में वाहन को सुरक्षित रूप से विघटित किया जाता है।
- संसाधन पुनर्चक्रण: विघटित वाहन से धातु और प्लास्टिक जैसे संसाधनों का पुनर्चक्रण किया जाता है।
चुनौतियाँ और भविष्य की योजनाएँ
वाहन स्क्रैपिंग नीति के कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें RVSFs की सीमित संख्या, अपर्याप्त प्रोत्साहन, और जागरूकता की कमी शामिल हैं। भविष्य में, सरकार जागरूकता अभियान, वित्तीय प्रोत्साहन, और कठोर प्रवर्तन तंत्र को बढ़ावा दे सकती है ताकि नीति का व्यापक रूप से पालन किया जा सके।
वाहन स्क्रैपिंग नीति और इलेक्ट्रिक वाहन बाजार
वाहन स्क्रैपिंग नीति इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बाजार को भी प्रभावित करेगी। पुराने वाहनों को हटाने से नई वाहनों की मांग बढ़ेगी, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन भी शामिल होंगे। इससे नौकरियों का सृजन और आर्थिक विकास होगा।
निष्कर्ष
End-of-Life Vehicles Rules 2025 और वाहन स्क्रैपिंग नीति भारत के पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन नियमों और नीतियों से न केवल वायु प्रदूषण कम होगा, बल्कि सड़क सुरक्षा में भी सुधार होगा। इसके अलावा, यह ऑटोमोबाइल उद्योग को बढ़ावा देगा और संसाधन प्रबंधन में सुधार लाएगा।
Disclaimer: यह लेख End-of-Life Vehicles Rules 2025 और वाहन स्क्रैपिंग नीति के बारे में जानकारी प्रदान करता है। यह नियम और नीतियाँ वास्तविक हैं और भारत सरकार द्वारा लागू की गई हैं।