LIVE अपडेट: प्राइवेट स्कूलों की फीस लूट बंद! सरकार ने लागू किए नए नियम

आज के समय में प्राइवेट स्कूलों की फीस और अन्य शुल्कों में बढ़ोतरी ने माता-पिता को भारी आर्थिक दबाव में डाल दिया है। कई राज्यों में इस मुद्दे पर सरकारें सक्रिय हो रही हैं। झारखंड सरकार ने हाल ही में प्राइवेट स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए हैं। इस लेख में, हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे और जानेंगे कि सरकारें कैसे इस समस्या का समाधान कर रही हैं।

Government Action Against Private Schools (English Heading)

झारखंड सरकार ने हाल ही में प्राइवेट स्कूलों द्वारा री-एडमिशन फीस और अन्य अनावश्यक शुल्क वसूलने की प्रथा पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। राज्य विधानसभा में इस मुद्दे को हजारीबाग विधायक प्रदीप प्रसाद ने उठाया, जिसमें उन्होंने स्कूलों के अलग-अलग शुल्क संरचना पर सवाल किया। शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने आश्वासन दिया कि जिला स्तर की समितियां इन मामलों की जांच करेंगी और दोषी स्कूलों पर कार्रवाई होगी।

योजना का संक्षिप्त विवरण (Scheme Overview)

पहल का नामविवरण
योजना का उद्देश्यप्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस पर रोक
लागू करने वाली संस्थाझारखंड सरकार
मुख्य मुद्दारी-एडमिशन फीस और अन्य शुल्क
निगरानी समितिजिला स्तर की समिति
जुर्माने का प्रावधान₹2.5 लाख तक का जुर्माना
शिकायत प्रक्रियाजिला समिति के माध्यम से

प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ोतरी: समस्या और प्रभाव

आजकल, प्राइवेट स्कूलों में फीस बढ़ोतरी एक गंभीर समस्या बन चुकी है। माता-पिता को हर साल 10-20% तक फीस वृद्धि का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, कई स्कूल अतिरिक्त शुल्क जैसे किताबें, यूनिफॉर्म, और एक्स्ट्रा-क्लासेस के नाम पर भी पैसे वसूलते हैं।

मुख्य समस्याएं:

  • री-एडमिशन फीस: बिना किसी कारण के बार-बार एडमिशन फीस ली जाती है।
  • छिपे हुए शुल्क: किताबें, खेलकूद, और अन्य गतिविधियों के लिए अतिरिक्त पैसे।
  • फीस वृद्धि का औचित्य: स्कूल अक्सर बिना उचित कारण बताए फीस बढ़ा देते हैं।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

झारखंड सरकार:

  1. जिला स्तर की समितियां: जिला उपायुक्त की अध्यक्षता वाली समितियां स्कूलों की फीस संरचना तय करती हैं।
  2. जुर्माने का प्रावधान: दोषी पाए जाने पर ₹2.5 लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
  3. नियमित बैठकें: जिला समितियों को महीने में कम से कम एक बार बैठक करने का निर्देश दिया गया है।

अन्य राज्यों में प्रयास:

  • पंजाब: फीस वृद्धि 8% से अधिक नहीं हो सकती।
  • उत्तर प्रदेश: कोविड महामारी के दौरान फीस वृद्धि पर रोक लगाई गई थी।
  • गुजरात: जुर्माने के साथ-साथ अतिरिक्त वसूली गई राशि को दोगुना वापस करने का प्रावधान।

क्यों जरूरी है फीस नियंत्रण?

आर्थिक दबाव:

प्राइवेट स्कूलों की बढ़ती फीस ने मध्यम वर्गीय परिवारों को भारी आर्थिक बोझ तले दबा दिया है। कई माता-पिता को अपने बच्चों की शिक्षा के लिए कर्ज लेना पड़ता है।

शिक्षा का अधिकार:

शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार है। यदि फीस इतनी अधिक होगी कि गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार इसे वहन न कर सकें, तो यह उनके अधिकारों का हनन होगा।

समाधान क्या हो सकता है?

सरकार द्वारा:

  1. फीस कैपिंग: सभी राज्यों में अधिकतम फीस सीमा तय करना।
  2. सख्त निगरानी: जिला और राज्य स्तर पर नियमित निरीक्षण।
  3. शिकायत निवारण: माता-पिता को अपनी शिकायतें दर्ज कराने के लिए एक आसान प्रक्रिया उपलब्ध कराना।

माता-पिता द्वारा:

  1. एकजुटता: पैरेंट्स एसोसिएशन बनाकर आवाज उठाना।
  2. शिकायत दर्ज करना: जिला समितियों को उचित दस्तावेजों के साथ शिकायत करना।

निष्कर्ष

सरकार द्वारा उठाए गए कदम सराहनीय हैं, लेकिन इसे प्रभावी बनाने के लिए सख्त निगरानी और नियमित कार्रवाई आवश्यक है। प्राइवेट स्कूलों को शिक्षा को व्यापार नहीं बल्कि सेवा मानकर काम करना चाहिए।

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Disclaimer

यह लेख झारखंड सरकार द्वारा हाल ही में घोषित पहल पर आधारित है। हालांकि, इसे पूरी तरह से लागू करने और प्रभावी बनाने में समय लग सकता है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें और योजना की वास्तविक स्थिति जानें।

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