Solar Rooftop Yojana 2025: बिजली बिल अब होगा ₹0, सरकार दे रही है ₹78,000 तक की सब्सिडी, फॉर्म भरना शुरू

भारत सरकार ने हाल ही में सोलर रूफटॉप सब्सिडी योजना की शुरुआत की है, जिसे पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना भी कहा जाता है। यह योजना देश के एक करोड़ घरों में सोलर रूफटॉप पैनल लगाने का लक्ष्य रखती है, जिससे घरेलू ऊर्जा की जरूरतें पूरी हो सकें और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके। इस योजना के तहत सरकार ने 75,021 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को बिजली के बिलों में बचत करने में मदद मिलेगी।

इस योजना के माध्यम से न केवल बिजली की लागत कम होगी, बल्कि घरों को अतिरिक्त बिजली बेचकर आय भी होगी। यह योजना 2026-27 तक लागू रहेगी और इसका क्रियान्वयन राष्ट्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी (एनपीआईए) और राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (एसआईए) द्वारा किया जाएगा। इस योजना के लिए आवेदन करने के लिए घरेलू उपभोक्ताओं को अपने राज्य और बिजली वितरण कंपनी का चयन करके ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा।

Solar Rooftop Subsidy Yojana 2025

योजना का उद्देश्य

  • सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना: घरेलू क्षेत्र में 30 गीगावाट सौर क्षमता जोड़ना।
  • कार्बन उत्सर्जन में कटौती: स्थापित रूफटॉप प्रणालियों के जीवनकाल में 720 मिलियन टन CO2 की कटौती।
  • आर्थिक सशक्तिकरण: घरों को बिजली बिलों पर बचत करने और अतिरिक्त बिजली बेचकर आय अर्जित करने में मदद करना।
  • रोजगार सृजन: विनिर्माण, रसद, स्थापना और संचालन में 17 लाख सीधे रोजगार पैदा करना।
  • ऊर्जा स्वतंत्रता: ग्रिड पर निर्भरता कम करना और ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भरता बढ़ाना।
  • जागरूकता बढ़ाना: सौर ऊर्जा और इसके लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना।

योजना की विशेषताएं

विशेषताविवरण
योजना का नामसोलर रूफटॉप सब्सिडी योजना (पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना)
लॉन्च तिथि15 फरवरी 2024
लक्ष्यएक करोड़ घरों में सोलर पैनल लगाना
बजट आउटले75,021 करोड़ रुपये
सब्सिडी राशि1 kW के लिए 30,000 रुपये, 2 kW के लिए 60,000 रुपये, 3 kW या अधिक के लिए 78,000 रुपये
बिजली लाभप्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली
कार्यान्वयन अवधि2026-27 तक
कार्यान्वयन एजेंसियांराष्ट्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी (एनपीआईए) और राज्य कार्यान्वयन एजेंसियां (एसआईए)

योजना के लिए पात्रता मानदंड

  • नागरिकता: भारतीय नागरिक होना चाहिए।
  • संपत्ति स्वामित्व: सोलर पैनल लगाने के लिए उपयुक्त छत वाला घर होना चाहिए।
  • बिजली कनेक्शन: वैध बिजली कनेक्शन होना चाहिए।
  • पूर्व सब्सिडी: किसी अन्य सोलर पैनल सब्सिडी का लाभ न लिया हो।

आवेदन प्रक्रिया

  1. पंजीकरण: आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर राज्य और बिजली वितरण कंपनी का चयन कर पंजीकरण करें।
  2. जानकारी की समीक्षा: पोर्टल का उपयोग करके उपयुक्त प्रणाली के आकार और लाभों की जानकारी प्राप्त करें।
  3. विक्रेता चयन: पंजीकृत विक्रेता और सोलर पैनल का चयन करें।
  4. आवेदन जमा करना: पोर्टल के माध्यम से आवेदन जमा करें।
  5. व्यवहार्यता अनुमोदन: डिस्कॉम से व्यवहार्यता अनुमोदन प्राप्त करें।
  6. स्थापना: अनुमोदन के बाद पंजीकृत विक्रेता के माध्यम से सोलर प्लांट स्थापित करें।
  7. नेट मीटर आवेदन: स्थापना के बाद नेट मीटर के लिए आवेदन करें।
  8. आयोगन: डिस्कॉम द्वारा निरीक्षण और आयोगन प्रमाण पत्र प्राप्त करें।
  9. सब्सिडी वितरण: बैंक विवरण जमा कर सब्सिडी प्राप्त करें।

योजना के लाभ

  • बिजली बिलों में बचत: सोलर ऊर्जा का उपयोग करके बिजली बिलों में बचत।
  • अतिरिक्त आय: अतिरिक्त बिजली बेचकर आय अर्जित करना।
  • पर्यावरण संरक्षण: कार्बन उत्सर्जन में कटौती और पर्यावरण संरक्षण।
  • रोजगार सृजन: सोलर उद्योग में रोजगार के अवसर बढ़ाना।

योजना का भविष्य और चुनौतियां

इस योजना के माध्यम से भारत अपने 40 गीगावाट रूफटॉप सोलर क्षमता के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह योजना न केवल ऊर्जा स्वतंत्रता को बढ़ावा देगी, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित करेगी। हालांकि, इस योजना को सफल बनाने के लिए वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था, विक्रेताओं की पंजीकरण प्रक्रिया, और नेट मीटरिंग की सुविधा जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष

सोलर रूफटॉप सब्सिडी योजना भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न केवल घरेलू ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करेगी, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित करेगी। इस योजना के माध्यम से गरीब और मध्यम वर्ग के परिवारों को बिजली बिलों में बचत करने और अतिरिक्त आय अर्जित करने का अवसर मिलेगा।

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Disclaimer: यह योजना वास्तविक है और भारत सरकार द्वारा शुरू की गई है। यह योजना सोलर ऊर्जा को बढ़ावा देने और घरेलू ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन की गई है। हालांकि, इस योजना की सफलता विभिन्न कारकों पर निर्भर करेगी, जैसे कि वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता और कार्यान्वयन एजेंसियों की प्रभावशीलता।

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