प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर में एक ऐतिहासिक परियोजना, उधमपुर-स्रीनगर-बरामूला रेल लिंक (USBRL) के अंतिम खंड का उद्घाटन करने जा रहे हैं। इस परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज, चेनाब ब्रिज, जो कश्मीर घाटी को देश के बाकी हिस्सों से रेल मार्ग से जोड़ने वाला है।
यह रेल लिंक जम्मू से कश्मीर तक की दूरी को कम करने के साथ-साथ क्षेत्र की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस परियोजना के पूरा होने से कश्मीर की यात्रा और माल ढुलाई दोनों में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
USBRL परियोजना लगभग 42 वर्षों में पूरी हुई है और इसमें कई तकनीकी और भौगोलिक चुनौतियों का सामना किया गया। इस रेल लाइन की लंबाई लगभग 272 किलोमीटर है, जिसमें 119 किलोमीटर लंबी सुरंगें और लगभग 1000 पुल शामिल हैं।
इस परियोजना में भारत की इंजीनियरिंग क्षमता और तकनीकी कौशल का अद्भुत प्रदर्शन देखने को मिला है। प्रधानमंत्री मोदी के इस उद्घाटन समारोह से न केवल कश्मीर की कनेक्टिविटी बेहतर होगी, बल्कि पर्यटन, व्यापार और रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे।
USRBRL Train Inauguration Overview
विशेषता | विवरण |
परियोजना का नाम | उधमपुर-स्रीनगर-बरामूला रेल लिंक (USBRL) |
कुल लंबाई | लगभग 272 किलोमीटर |
सुरंगों की संख्या | 36 सुरंगें, कुल लंबाई लगभग 119 किलोमीटर |
पुलों की संख्या | लगभग 1000 पुल |
प्रमुख पुल | चेनाब ब्रिज (विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज) |
चेनाब ब्रिज की ऊँचाई | 359 मीटर |
परियोजना की लागत | लगभग ₹37,000 करोड़ |
उद्घाटन तिथि | 19 अप्रैल 2025 (प्रधानमंत्री द्वारा) |
उधमपुर-स्रीनगर-बरामूला रेल लिंक (USBRL) और विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज
उधमपुर-स्रीनगर-बरामूला रेल लिंक (USBRL) जम्मू-कश्मीर को भारत के मुख्य रेल नेटवर्क से जोड़ने वाली एक महत्वाकांक्षी परियोजना है। इस रेल लाइन का अंतिम खंड, कत्रा से सांगलदान तक, 19 अप्रैल को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा उद्घाटित किया जाएगा।
इस खंड में विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज, चेनाब ब्रिज, शामिल है, जिसकी ऊँचाई 359 मीटर है, जो पेरिस के एफिल टॉवर से भी 35 मीटर अधिक है।यह ब्रिज न केवल इंजीनियरिंग का चमत्कार है, बल्कि यह क्षेत्र की भौगोलिक और भूकंपीय संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।
इस ब्रिज की संरचना इतनी मजबूत है कि यह 250 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा की गति को भी सहन कर सकता है। इस परियोजना में लगभग 30,000 मीट्रिक टन स्टील का उपयोग हुआ है, जो इसे एक “फौलादी पुल” बनाता है।
USBRL की तकनीकी विशेषताएं और चुनौतियां
- भौगोलिक कठिनाइयां: यह रेल लाइन हिमालय की तलहटी और पिर पंजाल पर्वत श्रृंखला के बीच से गुजरती है, जहां कई चोटियां 15,000 फीट से अधिक ऊँची हैं।
- भूकंपीय संवेदनशीलता: यह क्षेत्र भूकंप के लिहाज से संवेदनशील है, इसलिए सुरंगों और पुलों की सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक निगरानी प्रणाली लगाई गई है।
- सुरंगें और पुल: कुल 36 सुरंगें और लगभग 1000 पुल इस परियोजना का हिस्सा हैं, जिनमें से कई अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित हैं।
- रेल इंजन और ओवरहेड उपकरण: इस रेल लाइन पर इलेक्ट्रिक इंजन चलेंगे, जिनके लिए विशेष ठोस धातु के स्तंभों से बिजली सप्लाई की जाएगी, जो पारंपरिक तारों से अधिक टिकाऊ हैं।
- वातावरणीय अनुकूलता: कश्मीर की ठंडी जलवायु को ध्यान में रखते हुए वंदे भारत ट्रेन के लिए विशेष एयर-ब्रेक और विंडशील्ड डिफ्रॉस्टिंग सिस्टम विकसित किया गया है।
USBRL परियोजना के लाभ
- यात्रा समय में कमी: दिल्ली से श्रीनगर की यात्रा अब लगभग 13 घंटे में पूरी होगी, जबकि कत्रा से श्रीनगर की दूरी ट्रेन से केवल 2 घंटे 10 मिनट में तय होगी।
- आर्थिक विकास: कश्मीर के सेब, हस्तशिल्प और अन्य उत्पादों का देश के अन्य हिस्सों तक सुगम परिवहन होगा।
- पर्यटन को बढ़ावा: बेहतर कनेक्टिविटी से कश्मीर में पर्यटन को नई गति मिलेगी।
- रोजगार सृजन: निर्माण कार्य के दौरान और बाद में स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
- सामाजिक एकता: रेल लिंक से कश्मीर घाटी और देश के अन्य हिस्सों के बीच भावनात्मक और भौतिक जुड़ाव मजबूत होगा।
USBRL परियोजना का इतिहास और विकास
- शुरुआत: महाराजा प्रताप सिंह ने 1898 में कश्मीर को रेलवे से जोड़ने का विचार रखा था।
- प्रारंभिक प्रयास: 1905 में एक संकीर्ण गेज रेलवे लाइन का निर्माण स्वीकृत हुआ था।
- आधिकारिक शुरुआत: 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस परियोजना की आधारशिला रखी।
- राष्ट्रीय परियोजना: 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया।
- खंडों में पूरा होना: 2009 से 2024 तक विभिन्न खंडों का उद्घाटन हुआ, और अब अंतिम खंड का उद्घाटन शेष है।
USBRL परियोजना के प्रमुख पुल और सुरंगें
नाम | विवरण |
चेनाब ब्रिज | विश्व का सबसे ऊँचा रेलवे आर्च ब्रिज, 359 मीटर ऊँचा |
अंजी खाद ब्रिज | भारत का पहला केबल-स्टेड रेलवे ब्रिज |
पिर पंजाल सुरंग | 11 किलोमीटर लंबी सुरंग, जम्मू से कश्मीर कनेक्ट करती है |
कत्रा-बनिहाल सुरंग | 12.75 किलोमीटर लंबी भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग |
वंदे भारत ट्रेन और USBRL
- वंदे भारत ट्रेन को इस रेल लाइन के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है।
- यह पूरी तरह वातानुकूलित है और ठंडे मौसम के लिए अनुकूलित ब्रेकिंग सिस्टम से लैस है।
- उद्घाटन के दिन कत्रा से श्रीनगर और श्रीनगर से कत्रा के लिए दो वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चलेंगी।
निष्कर्ष
उधमपुर-स्रीनगर-बरामूला रेल लिंक (USBRL) परियोजना न केवल तकनीकी और इंजीनियरिंग की दृष्टि से एक अद्भुत उपलब्धि है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी एक मील का पत्थर साबित होगी।
विश्व के सबसे ऊँचे रेलवे आर्च ब्रिज, चेनाब ब्रिज, के साथ यह परियोजना कश्मीर घाटी को देश के मुख्य रेल नेटवर्क से जोड़ती है, जिससे क्षेत्र की कनेक्टिविटी, पर्यटन, व्यापार और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 19 अप्रैल को इस परियोजना के अंतिम खंड का उद्घाटन एक ऐतिहासिक क्षण होगा, जो भारत की प्रगति और एकता का प्रतीक है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी आधिकारिक और विश्वसनीय स्रोतों पर आधारित है। हालांकि, कुछ रिपोर्टों के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी का 19 अप्रैल का दौरा स्थगित भी किया गया है, लेकिन परियोजना का उद्घाटन और रेल लिंक का संचालन निश्चित है।
USBRL परियोजना वास्तविक है और यह भारत की सबसे बड़ी और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण रेलवे परियोजनाओं में से एक है।